सरकार को विकासात्मक कार्यों जैसे-परिवहन, संचार, विद्युत, गैस तथा विनिर्माण के अतिरिक्त कृषि, कुटीर एवं लघु उद्योगों को अनुदान तथा निर्धन परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार सरकार का व्यय उसकी आय की तुलना में अधिक होता है और इस घाटे को पूरा करने के लिए केंद्रीय तथा अन्य बैंकों से साख या ऋण लेने की आवश्यकता होती है।