ट्रांजिस्टर क्रिया के लिये
(1) आधार, उत्सर्जन और संग्राहक क्षेत्रों का समान आकार और समान मादन सान्द्रता होनी चाहिए।
(2) आधार क्षेत्र बहुत पतला होना और कम मादित होना चाहिये
(3) उत्सर्जक-आधार संधि अग्र बायसित और आधार संग्राहक संधि-पश्च बायसित होनी चाहिये।
(4) उत्सर्जक-आधार संधि और आधा-संग्राहक संधि दोनों ही अग्र बायसित होनी चाहिये।
[2010M]
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(d) ट्रांजिस्टर क्रिया के लिए आधार अत्यन्त पतला और हल्का डोपिंग वाला होना चाहिए तथा उत्सर्जक आधार संधि अग्र अभिनत तथा संग्राहक-आधार संधि उत्क्रम अभिनत होना चाहिए।
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किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक $(CE)$ प्रवर्धक की वोल्टता लब्धि $' G \ '$ है। प्रयुक्त ट्रांजिस्टरी की अन्तराचालकता $($ ट्रान्सकन्डक्टैन्स $) 0.03$ म्हो और धारा लब्धि $25$ है। यदि इस ट्रांजिस्टर के स्थान पर एक अन्य ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाए जिसकी अनाचालकता $0.02$ म्हो तथा धारालब्धि $20$ हो तो वोल्टता लब्धि होगी :
एक ट्रांजिस्टर का प्रचालन $V _{ C }=2 V$ पर उभयनिष्ठ उत्सर्जक विन्यास में करने पर, आधार-धारा में $100 \mu A$ से $300 \mu A$ परिवर्तन से संग्राहक-धारा में परिवर्तन $10 mA$ से $20 mA$ हो जाता है, तो धारा लब्बि है:
एक कॉमन-एमीटर प्रवर्धकारी में ट्रांसफर अनुपात $\beta$ का मान $50$ है। यदि इनपुट प्रतिरोध $1 k \Omega$ हो तथा इनपुट वोल्टेज का अधिकम मान $(A.C.) 0.01 V$ है तो कलैक्टर की धारा का मान है