अंग्रेजों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को आघात पहुँचाने के लिए मुक्त व्यापार की एकतरफा नीति अपनायी । ‘मुक्त व्यापार की नीति के तहत अब कंपनी के अलावे अन्य अंग्रेज उद्यमी भी भारत से व्यापार कर सकते थे । भारत से जो सामान इंग्लैंड जाता था, उस पर वहाँ आपात कर लगता था, लेकिन जो सामान भारत में आता था, उस पर कोई कर नहीं लगता था । इसलिए भारत में इंग्लैंड के सामान सस्ते दामों पर उपलब्ध होते थे जबकि भारत के सामान इंग्लैंड में महंगे बिकने से उनकी बिक्री बहुत कम हो गयी। परिणामस्वरूप भारतीय बुनकरों एवं सूत कातने वालों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।
रेलवे के विकास से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंगलैंड की वस्तुओं का पहुँचना शुरू हो गया । अब हस्तशिल्प की वस्तुओं की कीमतें बढ़ गयीं और मशीन निर्मित चीजें बाजार में सस्ती मिलने लगीं। शिल्प एवं उद्योग में लगे हुए कारीगर बेकार होने लगे और वे बाध्य होकर कृषि की तरफ लौटने लगे।