उष्मागतिकी के तृतीय नियम के अनुसार परम शून्य ताप पर एक पूर्णतः क्रिस्टलीय ठोस के लिए शून्य होगी-
[1996]
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अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी तथा ऐन्ट्रॉपी परिवर्तन क्रमशः $30 kJ mol ^{-1}$ तथा $105 JK ^{-1} mol ^{-1}$ है। किस ताप पर अभिक्रिया साम्य अवस्था को प्राप्त करेगी।
$\Delta G$ का मान धातुकर्म में महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए $800^{\circ} C$ ताप पर $\Delta G$ का मान है- $ S _{2( s )}+2 O _{2( g )} \longrightarrow 2 SO _{2( g )} ; \Delta G =-544 kJ$
$2 Zn _{( s )}+ S _{2( s )} \longrightarrow 2 ZnS _{( s )} ; \Delta G =-293 kJ$
$2 Zn _{( s )}+ O _{2( g )} \longrightarrow 2 ZnO _{( s )} ; \Delta G =-480 kJ $ तब अभिक्रिया $ 2 ZnS _{( s )}+3 O _{2( g )} \longrightarrow 2 ZnO _{( s )}+2 SO _{2( g )} $ के लिए $\Delta G$ का मान होगा-
एक मोल आदर्श गैस का, प्रारंभिक आयतन 1 लीटर से 10 लीटर तक समतापीय प्रसारित किया गया है। इस प्रक्रम के लिए $\Delta E \left( R =2 cal mol ^{-1}\right)$ है-
दिया गया है कि
$C + O _2 \rightarrow CO _2: \Delta H ^{\circ}=- x kJ$
$2 CO + O _2 \rightarrow 2 CO _2: \Delta H ^{\circ}=- y kJ$
कार्बन मोनोआक्साइड के निर्माण की एन्थैल्पी होगी-
मान लें कि जल वाष्प आदर्श गैस की तरह व्यवहार करती है।
दो मोनोएटॉमिक गैसों, $A$ तथा $B$ के बराबर आयतन समान ताप और दाब पर मिलाये जाते हैं। मिश्रण की आपेक्षिक ऊष्मा $\left( C _{ p } / C _{ v }\right)$ का अनुपात होगा :
$298 K$ ताप पर ग्रेफाइट तथा हीरे का घनत्व क्रमश:
$2.25$ तथा $3.31 g cm ^{-3}$ है। यदि मानक मुक्त ऊर्जा में अंतर $\left(\Delta G ^{\circ}\right) 1895 J mol ^{-1}$ के बराबर हो तो $298 K$ ताप पर ग्रेफाइट से हीरे में परिवर्तन के लिए दाब होगा-