(b) विस्पंद के बनने के लिए भिन्न आवृतियों का होना आवश्यक होता है। भिन्न आयाम केवल विस्पंद के न्यूनतम व अधिकतम आयामों के जिम्मेदार है तथा भिन्न कलाएं समयान्तर के लिए जिम्मेदार है।
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दो डोरियों की लम्बाइयाँ $51.6 \ cm$ और $49.1 \ cm$ हैं और इनमें से प्रत्येक में पृथक$-$पृथक $20 N$ बल का तनाव कार्य करता है। दोनों डोरियों का प्रति मात्रक लम्बाई द्रव्यमान समान है और यह $1 g / m$. है। जब एक ही समय दोनों डोरियाँ साथ$-$साथ कम्पन करती हैं तो स्पन्दन संख्या होगी $:-$
एक खिंचे तार में बनी तरंग की आवृत्ति 100 हर्टज है, जबकि वह दृढ़ सिरे की ओर चलती है। जब ये तरंग परावर्तन के बाद वापस आती है तो दृढ़ सिरे से 10 सेमी दूरी पर एक नोड बनती है। तरंग वेग का मान होगा।
यदि वायु में ध्वनि का वेग $340$ मी/से हो तो $,1250$ हर्ट्ज से कम आवृत्ति वाले 85 सेमी लम्बे एक सिरे पर बन्द नलिका $($पाइप$)$ में वायु $-$ स्तम्भ के संभव प्राकृतिक दोलनों की संख्या होगी
$x$-अक्ष के साथ चल रही एक अनुप्रस्थ तरंग को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:
$
y ( x , t )=8.0 \sin \left(0.5 \pi x -4 \pi t -\frac{\pi}{4}\right)
$
जहाँ $x$ का मान मीटर में और $t$ का सेकण्ड में है। इस तरंग की चाल होगी:
एक तारे में से $5000 \mathring A $ की तरंगे आती है जो पृथ्वी पर $1.50 \times 10^6$ मी/सेकंड से पहुंचती है। पृथ्वी पर पहुंचते हुए इसकी तरंग दैर्ध्य में क्या अंतर होगा?
एक द्रव्यमान $m$ एक भारहीन स्प्रिंग से ऊधर्व्वाधर लटका है। यह $n$ आवृत्ति से दोलन करता है। इसकी आवृत्ति क्या होगी यदि द्रव्यमान बदलकर $4 \ m$ कर दिया जाए?
एक स्थायी तरंग $y = a \sin (100 t ) \cos (0.01 x )$ से प्रदर्शित की जाती है। जहां $y$ तथा $A$ मिमी में, $t$ सेकंड में तथा $x$ में है तो तरंग का वेग होगा-
किसी स्ट्रिंग (डोरी) को $\ell_1, \ell_2$ तथा $\ell_3$ लम्बाई के तीन भागों में विभाजित करने पर उनकी मूल आवृत्तियाँ क्रमश: $v_1, v_2$ तथा $v_3$ हैं तो, स्ट्रिंग की मूल आवृत्ति होगी: