किसी गैस को समतापीय रूप से उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। इसी गैस को पृथक रूप से रुद्धोप्म प्रक्रिया द्वारा उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है तब :
[2016]
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(b) $W _{ ext }=$ आयतन-अक्ष से ऋणात्मक क्षेत्रफल $W$ (रूद्धोप्म) $> W$ (समतापीय)
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नियत दाब तथा नियत आयतन पर विश्ष्ट ऊष्मा का अनुपात $r$ है। यदि गैस का आयतन स्थिर दाब $P$ पर $V$ से $2 V$ कर दिया जाए तो गैस की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी :
एक आदर्श गैस को $27^{\circ} C$ से रुद्धोष्म प्रक्रम में दबाया गया तो उसका आयतन प्रारंभिक आयतन का $8 / 27$ हो गया । इसके तापमान में वृद्धि होगी $( r =5 / 3)$
एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
एक आदर्श गैस ऊष्मीय इंजन $227^{\circ} C$ व $127^{\circ} C$ कार्नो चक्र में कार्य करता है। यह उच्च ताप पर $6$ किलो कैलोरी ऊष्मा का अवशोषण करता है। ऊष्मा की कितनी मात्रा $($किलो कैलोरी में$)$ कार्य में परिवर्तित होती है