1857 की क्रांति की असफलता के कारणों का उल्लेख करते हुए उसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।
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1857 की क्रांति की असफलता के कारण | 1857 की क्रांति की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित ,
अधिकांश राजा-महाराजाओं द्वारा अंग्रेजों को भरपूर सहयोग प्रदान किया गया।
क्रांति निर्धारित समय से पूर्व ही प्रारंभ हो गई थी।
क्रांति की शुरुआत कुछ सीमित स्थानों पर ही हुई।
कोटा, नसीराबाद, भरतपुर, धौलपुर, टोंक आदि में विद्रोह अलग-अलग समय पर शुरू हुए।
क्रांतिकारियों के मध्य कुशल एवं संगठित नेतृत्व का अभाव था।
राजस्थान के क्रांतिकारियों में परस्पर तालमेल का अभाव था। साथ ही इनके पास साधनों का भी अभाव था।
मारवाड़, मेवाड़ व जयपुर आदि के शासकों ने तांत्या टोपे का सहयोग नहीं किया। क्रांति के परिणाम 1857 की क्रांति के परिणाम निम्नलिखित रहे-
राजस्थान के शासकों ने क्रांति के प्रवाह को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास किये। अतः क्रांति की असफलता के बाद ब्रिटिश सरकार ने राजाओं को अपनी ओर करने हेतु उन्हें अंग्रेजी शिक्षा देना आरंभ किया। यही नहीं, पुरस्कार देना व उपाधियाँ देना भी शरू किया।
सामन्तों ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था। इसलिए विद्रोह की समाप्ति के पश्चात् अंग्रेजों ने सामन्त वर्ग की शक्ति को समाप्त करने की नीति अपनाई।
अंग्रेजी शिक्षा पद्धति का विस्तार किया ताकि नौकरशाही में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त अनुभवी एवं स्वामीभक्त व्यक्तियों की भर्ती की जा सके।
अंग्रेजों ने अपने सैनिक एवं व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए तीन यातायात के साधनों का विकास किया।
क्रांति ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जड़ों को हिलाकर रख दिया।
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