(a) छ: नामांकन-

(b)(i) आवृत्तबीजी पुष्प का परागकोश दो पालियों में विभक्त होता है तथा प्रत्येक पाली में दो कोष्ठ होते है जिन्हें लघुबीजाणुधानी कहते हैं। इस प्रकार अधिकांश पुष्पीय पादप के परागकोश द्विपालीवत होता है परन्तु माल्वेसी कुल के परागकोश एक पालीवत होते हैं।
(ii) संकर बीज का निर्माण प्रतिवर्ष करना अनिवार्य होता है क्योंकि संकर बीज से उत्पन्न फसल के बीज को बोने पर वो संकर लक्षणों को अगली पीढ़ी में नहीं रख पाते हैं।