भ्रूणपोष क्या है ? विभिन्न प्रकार के भ्रूणपोषों को समझाइये।
(Raj Board 2013, 2015, 2020, Supp. 2020)
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भ्रूणपोष एक पोषक ऊतक है जिसका निर्माण पुष्पीय पादपों में निषेचन के पश्चात होता है। भ्रूणपोष भ्रूण के विकास व बीज अंकुरण के समय उपयोग में आता है। विकास के आधार पर भ्रूणपोष तीन प्रकार का होता है।
(1) केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear endosperm): इसमें भ्रूणपोष केन्द्रक का बार-बार विभाजन द्वारा अनेक केन्द्रक बन जाते हैं, किन्तु भित्ति का निर्माण नहीं होता। इस विभाजन को स्वतंत्र नाभिक विभाजन (free nuclear division) कहते हैं। ये केन्द्रक भ्रूणपोष की परिधि की ओर विन्यासित हो जाते हैं तथा केन्द्र में एक बड़ी रिक्तिका (vacuole) बन जाती है। कुछ समय के पश्चात भित्ति निर्माण ने से कोशिकीय बन जाती है। यही भोज्य पदार्थ ऊतक अर्थात् भ्रूणपोष होता है। नारियल में दूध की तरह जलयुक्त भ्रूणपोष होता है। यह सामान्य प्रकार का भ्रूणपोष है जो आवृतबीजी के पोलीपेटेली (polypetalae) वर्ग व एकबीजपत्री पादपों में पाया जाता है। जैसे- मक्का, चावल, गेहूँ ।
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(B). कोशिकीय भ्रूणपोष तथा (C). हेलोबियल भ्रूणपोष ।
(2) कोशिकीय भ्रूणपोष (Cellular endosperm)
: इसमें भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रत्येक विभाजन के पश्चात कोशिका भित्ति का निर्माण होता है। अतः यह आरंभ से अन्त तक कोशिकीय रहता है। सामान्यतः इस प्रकार के भ्रूणपोष में चूषकांग विकसित हो जाते है। इस प्रकार के भ्रूणपोय प्राय आवृत्तबीजी के गेमोपेटेली (Gamopetalae) वर्ग के सदस्यों में पाया जाता है।
(3) हेलोबियल भ्रूणपोष (Helobial endosperm): यह उपरोक्त दोनों प्रकार के भ्रूणपोपों के मध्य का भ्रूणपोष है। यह केवल एकबीजपत्री के हिलोबियेल गण में पाये जाने के कारण ही इसे हेलोबियल (Helobial) भ्रूणपोष कहते हैं। प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रथम विभाजन पश्चात एक अनुप्रस्थ भित्ति बनने से यह दो प्रकोष्ठ (बीजाण्डद्वारी प्रकोष्ठ व निभागी प्रकोष्ठ) में विभक्त हो जाता है। निभागी प्रकोष्ठ वाली छोटी कोशिका के केन्द्रक में मुक्त विभाजन होते हैं। बीजाण्ड द्वारा प्रकोष्ठ में केन्द्रक विभाजन एवं भित्ति निर्माण साथ-साथ होता है। इस प्रकार यह भ्रूणपोष केन्द्रकीय एवं कोशिकीय दोनों प्रकार के भ्रूणपोष का मिला-जुला रूप होता है।

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