परागकणों (Pollen Grains) का परागकोश से मुक्त होकर विभिन्न विधियों एवं माध्यमों के द्वारा उसी पुष्प या उसी जाति के अन्य पुष्य के जायांग की वर्तिकाग्र (Stigma) तक पहुँचना परागण (pollination) कहलाता है।
(i)
वैलिसनेरिया में जलपरागण - वैलिसनेरिया जल निमग्न एकलिंगी (Dioccous) व ताजे पानी में पाया जाने वाला पादप है। नर पौधा काफी संख्या में नर पुष्प उत्पन्न करता है, जो टूटकर बन्द अवस्था में ही पानी की सतह पर आ जाते हैं। ऊपर आकार नर पुष्प जल सतह पर खुल (Open) जाते हैं। मादा पौधा, मादा पुष्प बनाता है। मादा पुष्प लम्बे कुण्डलित वृन्त पर लगा होता हैं जिससे यह पानी की सतह तक आ जाता हैं। वर्तिकाग्र तीन भागों में बंटी होती हैं। तैरते हुए नर पुष्प, मादा पुष्प के पास आता है और मादा पुष्प के सम्पर्क में आने से नर पुष्पों के परागकोश फट जाते हैं। परागकण वर्तिकाग्र से चिपक जाते हैं। परागण के उपरान्त मादा पुनः बन्द हो जाता हैं। इसका वृन्त कुण्डलित होकर पुष्प को पानी के अन्दर खींच लेता हैं।

(ii)
समुद्री घासों में परागण की क्रिया - समुद्री घासों (Sea Grasses) जैसे (Zostera) में मादा पुष्प जल निमग्न रहते हैं तथा परागकण भी जल के अन्दर ही छोड़े जाते हैं। इनके परागकण लम्बे व फीते जैसे होते हैं जो जल के अन्दर निष्क्रिय रूप से बहते हुए वर्तिकाग्र तक पहुँचते हैं, जिससे परागण क्रिया सम्पन्न हो जाती है।