आदिवासियों को अनेक कारणों से अपनी जमीन से विस्थापित होना पड़ा है। यथा-
(1) आदिवासी इलाकों में खनिज पदार्थों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की भरमार रही है। इसीलिए इन जमीनों को खनन और अन्य विशाल औद्योगिक परियोजनाओं के लिए बार-बार छीना गया है। सरकारी आँकड़ों से पता चलता है कि खनन और खनन परियोजनाओं के कारण विस्थापित होने वालों में 50 प्रतिशत से ज्यादा केवल आदिवासी रहे हैं।
(2) आदिवासियों की बहुत सारी जमीन देश भर में बनाए गए सैकड़ों बाँधों के जलाशयों में डूब चुकी है। इन जगहों से उन्हें विस्थापित होना पड़ा है।
(3) भारत में 101 राष्ट्रीय पार्क (40,564 वर्ग किलोमीटर) और 543 वन्य जीव अभयारण्य (1,19,776 वर्ग किलोमीटर) हैं। * ये ऐसे इलाके हैं जहाँ मूल रूप से आदिवासी रहा करते थे। अब उन्हें वहाँ से उजाड़ दिया गया है। अगर वे इन जंगलों में रहने की कोशिश करते हैं तो उन्हें घुसपैठिया कहा जाता है।
(4) जनजातीय भूमि पर कब्जा करने में शक्तिशाली गुटों- सरकारी अधिकारियों, पूँजीपतियों और साहूकारों ने भी उनके भोलेपन का शोषण कर उनकी भूमि को हथियाया है और जिसके कारण भी उन्हें वहाँ से विस्थापित होना पड़ा है।