अगर हम गोविन्द के दोस्त होते तो उसे चिढ़ाते नहीं बल्कि उसकी तरह ही हम भी अपने घरों में अपने माँ की कामों में हाँथ बँटाते । घर के छोटे-मोटे कामों को कर देते जिससे हमारी माँ को थोड़ा आराम मिलता। घर के छोटे-मोटे कामों को करने में कोई बुराई नहीं है। जिस तरह बेटियाँ अपने घरों के काम में माँ का हाथ बँटाती है, उसी तरह बेटों को उनके काम में हाथ बँटाना चाहिए।