अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में काफी देर से मताधिकार इसलिए मिला क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समान नहीं माना जाता था । भातरीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने भी बढ़-चढे कर भाग लिया था। इसी दौरान भारत में सकारात्मक लोकतांत्रिक मूल्यों ने जन्म लिया था। उन मूल्यों में महिलाएँ समान समझी जाती थीं। अतः भारत में पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी मताधिकार मिल गया।