ऐल्कीनों पर HX तथा हैलोजेन के योग की व्याख्या कीजिए।
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(i) ऐल्कीनों पर हाइड्रोजन अम्ल (HX) के संकलन (संयोजन) से- ऐल्कीनों पर HX के संकलन से हैलोऐल्केन बनते हैं। असममित ऐल्कीनों पर HX के संकलन में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होता है तथा परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन परॉक्साइड प्रभाव के अनुसार होता है। इस अभिक्रिया के लिए विभिन्न हाइड्रोजन हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है- $HI > HBr > HCl > HF$ मार्कोनीकॉफ का नियम- जब किसी असममित ऐल्कीन पर HX का योग होता है तो ऋणात्मक भाग $(\overline{ X })$ उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है। यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है। अभिक्रिया की क्रियाविधि- परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव-जब किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होता है तो ब्रोमीन परमाणु उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
(ii) ऐल्कीनों पर हैलोजन के संकलन से - ऐल्कीन पर हैलोजन की क्रिया से विसिनल डाइहैलाइड बनते हैं। ब्रोमीन के कार्बन टेट्रा क्लोराइड में विलयन की क्रिया एल्कीन से करवाने पर ब्रोमीन के विलयन का लाल रंग गायब हो जाता है। यह किसी यौगिक में द्विआबंध तथा त्रिआबन्ध की पहचान करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इसमें बना विसिनल डाइब्रोमाइड रंगहीन होता है।
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$(i)$ पाँच कार्बन युक्त हैलोएल्केन की संरचना बताइए जिसके द्वारा प्रकाशिक समावयवता दर्शायी जाती है।
$(ii) 1-$क्लोरो ब्यूटेन तथा $1$ क्लोरो $-2-$ मेथिल प्रोपेन में कौनसी समावयवता होती है$?$
$(iii)$ अणु सूत्र $\ce{C4H9CI}$ वाले स्थिति समावयवी बताइए जिनमें सीधी श्रृंखला हो।
निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए - (i) $CH _3- CH _2- Cl \xrightarrow{+ A } B \xrightarrow{ C } CH _3- CH _2- NH _2+ HCOOH$ (ii) $CH _3- I \xrightarrow{+ A } B \xrightarrow{ C } CH _3- NH - CH _3$