सममिति तत्त्व मुख्यतः तीन होते हैं-सममिति तल, सममिति अक्ष तथा सममिति केन्द्र ।
सममिति तल- किसी वस्तु या यौगिक का वह तल जो उसे दो समान भागों में विभाजित कर देता है, उसे सममिति तल कहते हैं। ये दोनों भाग एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, जो कि एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते। जैसे अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A में ऊर्ध्वाधर सममिति तल तथा B में क्षैतिज सममिति तल होता है।
सममिति अक्ष- किसी वस्तु या यौगिक का वह अक्ष जिस पर उसे घुमाने पर वही रूप प्राप्त हो जो उसके मूल रूप पर अध्यारोपित हो जाता है उसे सममिति अक्ष कहते हैं।
सममिति केन्द्र- किसी वस्तु का वह काल्पनिक बिन्दु जिस पर से एक सरल रेखा खींचने पर, उस बिन्दु के दोनों ओर स्थित समूह समान दूरी पर पाए जाते हैं उसे सममिति केन्द्र कहते हैं।
किरेल तथा किरेलता- वे वस्तुएँ या यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता कहते हैं तथा वे वस्तुएँ जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित हो जाती हैं, उन्हें अकिरेल कहते हैं।
उदाहरण- अपने दोनों हाथ व पैर किरेल तथा गोले एवं चित्र में दिखाए गए शंकु अकिरेल होते हैं।
किरेल तथा अकिरेल कार्बनिक यौगिक - प्रोपेन-2-ऑल, अकिरैल होता है जबकि ब्यूटेन-2-ऑल किरेल होता है, क्योंकि प्रोपेन-2-ऑल में असममित कार्बन परमाणु उपस्थित नहीं है लेकिन ब्यूटेन-2-ऑल में असममित कार्बन परमाणु उपस्थित है अर्थात् इसके कार्बन परमाणु से जुड़े चारों समूह भिन्न-भिन्न हैं।
प्रतिबिम्ब रूप (Enantiomers) - वे त्रिविम समावयवी जिनके दर्पण प्रतिबिम्ब एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते उन्हें प्रतिबिम्ब रूप या इनेन्शियोमर कहते हैं।