परिवर्धनशील भ्रूण व माता के गर्भाशय के बीच पाये जाने वाले संरचनात्मक व क्रियात्मक सम्बन्ध को अपरा कहते है। यह अन्तः स्रावी ग्रन्थि की तरह भी कार्य करता है क्योंकि इससे कई प्रकार के हार्मोन स्रावित होते हैं। जैसे-
1. मानव जरायु गोनेडोट्रोपिन (human Chorionic Gonadotropin-hCG)
2. मानव अपरा लेक्टोजन (human Placental Lactogen-hPL)
3. एस्ट्रोजन (Estrogen)
4. प्रोजेस्टोजन (Progestogen)
hCG- यह कॉर्पस लुटियम के विकास व उसे हार्मोन उत्पन्न करने के लिए प्रेरित करता है।
hPL- यह दुग्ध ग्रन्थियों के विकास को प्रेरित करता है।
Progestrone- यह गर्भाकाल के दौरान गर्भाशय पेशियों के संकुचन को रोकता है।
Estrogen- सगर्भता बनाये रखने में सहायक होता है।