भ्रूण को माँ के रुधिर से पोषण मिलता है जिसके लिए एक विशेष संरचना होती है जो प्लैसेंटा (अपरा) कहलाती है। यह एक तश्तरीनुमा संरचना है, जो गर्भाशय की भित्ति में धँसी रहती है। इसमें भ्रूण की ओर से ऊतक में प्रवर्ध होते हैं। भ्रूण गर्भनाल की मदद से अपरा से जुड़ा होता है। माँ के ऊतकों में रक्तस्थान होते हैं जो प्रवर्ध को आच्छादित करते हैं। यह माँ के भ्रूण को ग्लूकोज, ऑक्सीजन एवं अन्य पदार्थों के स्थानान्तरण हेतु एक बृहद क्षेत्र प्रदान करते हैं। विकासशील भ्रूण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ उत्पन्न होते हैं। जिनका निपटान भी प्लैसेंटा के माध्यम से माँ के रुधिर में स्थानांतरण द्वारा होता है।