मानव में निषेचन क्रिया- संभोग प्रक्रम के दौरान पुरुष के वृषणों में बने शुक्राणु शिश्न द्वारा स्त्री की योनि में पहुँचते हैं। शुक्राणु अत्यन्त सक्रिय तथा मादा जनन कोशिका (अण्ड) की ओर तैरकर गर्भाशय की ग्रीवा में पहुँचते हैं। गर्भाशय से, शुक्राणु, अण्डवाहिका में पहुँचते है। अण्डवाहिनी में अण्डोत्सर्ग के दौरान मोचित एक अण्ड निहित होता हो। अतः अण्डोत्सर्ग-चक्र के दौरान किसी भी ओर (दाएँ अथवा बाएँ) के अण्डाशय से एक अण्ड मोचित होता है तथा अण्डवाहिनी में पहुँच जाता है। अण्डवाहिका में बहुत से शुक्राणु अण्ड की ओर तैरने लगते हैं परन्तु उनमें से केवल एक शुक्राणु ही अण्ड को निषेचित करता है। क्योंकि एक अण्डोत्सर्ग-चक्र में केवल एक ही अण्ड मोचित होता है, अर्थात् रजो-चक्र के दौरान प्रत्येक माह लगभग 14 वें दिन अण्डोत्सर्ग-चक्र माह में एक ही बार होता है, अतः निषेचन भी सामान्यतः माह में केवल एक बार होता है।