गर्भधारण रोकने की विभिन्न विधियाँ कौन-सी हैं? किसी एक विधि की विस्तार से चर्चा कीजिए।
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गर्भधारण रोकने की विभिन्न विधियों को मुख्यतः निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
प्राकृतिक विधि- इस विधि द्वारा शुक्राणुओं तथा अण्ड के मिलने की सम्भावनाओं से बचना सम्मिलित है। इस विधि में रजोधर्म के 10 वें से 17 वें दिन तक मैथुन क्रिया से बचा जाता है।
अवरोधक विधि- इस विधि में, किसी अवरोध द्वारा अण्ड तथा शुक्राणु के निषेचन की रोकथाम की जाती है। पुरुषों तथा महिलाओं दोनों के लिए अवरोधक उपलब्ध हैं। कंडोम पतली रबड़ से निर्मित अवरोधक हैं, जो पुरुषों द्वारा जाती हैं। इन गोलियों में हार्मोन की छोटी खुराक सम्मिलित होती है, जो अण्ड का मोचन रोकती हैं और इस प्रकार निषेचन नहीं हो पाता है।
खाने की गर्भनिरोधक दवाएँ- इस विधि में गोलियाँ खाई जाती हैं। इन गोलियों में हार्मोन की छोटी खुराक सम्मिलित होती है, जो अण्ड का मोचन रोकती हैं और इस प्रकार निषेचन नहीं हो पाता है।
शल्य क्रिया- गर्भधारण रोकने की विधि जैसे लूप अथवा कॉपर-T को गर्भाशय में रखकर गर्भधारण की रोकथाम की जाती है। कुछ शल्य क्रिया-विधियाँ युग्मकों के स्थानान्तरण को भी रोकती है। इसमें पुरुषों में शुक्राणुओं के स्थानान्तरण की रोकथाम के लिए शुक्रवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है। यह विधि नसबन्दी कहलाती है। इसी प्रकार स्त्रियों में, अण्डवाहिनी को काटकर बाँध दिया जाता है। जिससे अण्ड गर्भाशय तक न पहुँच सके। ये विधि नलबन्दी कहलाती है।
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