अस्पृश्यता उन्मूलन-संविधान के अनुच्छेद 17 में छुआछूत/अस्पृश्यता को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए भारत सरकार ने अस्पृश्यता का प्रचार और आचरण करने तथा उससे उपजी किसी भी प्रकार की निर्योग्यता को लागू करने और दण्ड विहित करने के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 लागू किया। राजस्थान सरकार ने अस्पृश्यता अधिनियम, 1955 को प्रभावशाली रूप से लागू करने के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निरोधक कानून 1989 को भी सख्ती से लागू किया। राजस्थान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग' मुख्यतः शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक विकास, अनुसूचित जाति, जनजाति, आर्थिक पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, बच्चों आदि के कल्याण के लिए कार्य करता है।