(d) धूसर रंग के माँथ का गहरे रंग की मेलानिक प्रजाति द्वारा, औद्योगिक धुएं के कारण प्रतिस्थापन औद्योगिक अतिकृष्णता कहलाता है, प्रारम्भ में लाइकेन से ढंके पेड़ के धड़ (मुख्य भाग) पर अपने काले रंग के कारण उत्परिवर्तित मॉथ स्पष्ट साफ से दिखायी पड़ता था। अतः परभक्षियों के लिए आसान शिकार था। औद्योगिक क्रान्ति के दौरान बड़े पैमाने पर कोयले के जलने के कारण कालिमायुक्त कण पेड़ के धड़ (तने) पर संचित हो गये। अतः धूसर रंग के मॉंथ परभक्षियों के लिए रंग में अधिक स्पष्ट हो गये। इस कारण काले मॉथों की संख्या में सन्तोष जनक वृद्धि हुई।