(c) विकास मे अनुकूली अपसरण का सिद्धान्त 1898 में एच. एफ. आस्बोर्न द्वारा विकसित किया गया। इसको 'विकासीय अपसरण' भी कहते हैं। इसमें विभिन्न कार्यात्मक संरचनाएं किसी एक समान अवस्था से विकसित होती हैं। जैसा कि प्रश्न में उल्लेखित किये गये हैं। जबकि जीवों के असम्बन्धि त समूहों में समान अनूकूलित कार्यात्मक संरचनाओं का विकास अनुकूली अभिसरण अभिसारी विकास कहलाता है, उदाहरण- कीटों, चिड़ियां व चमगादड़ के पंख। जब अभिसारी विकास निकट सम्बन्धी प्रजातियों में होता है तो इसे समानान्तर विकास कहते हैं।
उदाहरण- हिरन ( 2 अंगुलीपाद) व घोड़े ( 1 अंगुलीपाद) में दौड़ने की प्रवृत्ति