औपनिवेशिक चित्रकला की परम्परागत शैली जहाँ ‘रूपचित्रण’ थी, यानी आदमकद चित्र वहीं राष्ट्रवादी चित्रकला शैली ‘तेल चित्रकारी’ थी। जहाँ औपनिवेशिक चित्रकला के अंग्रेज कलाकार अपने देशवासियों की श्रेष्ठता व वैभव को सिद्ध करना चाहते थे, वहीं भारतीय, राष्ट्रवादी चित्रकला अपने चित्रों के माध्यम से राष्ट्रवादी संदेश देते थे। साथ ही वे रामायण, महाभारत’ और पौराणिक कहानियों के नाटकीय दृश्यों को ‘किरमिच’ पर चित्रांकित कर भारत के शानदार वे वैभवशाली अतीत को दर्शकर अंग्रेजों के वैभव को करारा जवाब दे रहे थे।