बाजार में श्रम की प्रचुरता से मजदूरों का जीवन बहुत प्रभावित हुआ। काम पाने के लिए गाँवों से बड़ी संख्या में मजदूर शहरों में आने लगे । रोजगार चाहने वाले बहुत से लोगों को कई सप्ताहों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। वे पुलों के नीचे निजी तथा विधि विभाग द्वारा संचालित रैनबसेरों में रहते थे।