प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में मैनचेस्टर की पहले वाली स्थिति नहीं रही। आधुनिकीकरण के अभाव, प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने तथा कपास के उत्पादन में कमी आदि कारणों से ब्रिटेन से होने वाले सूती कपड़े के निर्यात में भारी गिरावट आ गई। उपनिवेशों में स्थानीय उद्योगपतियों ने घरेलू बाजारों पर अधिकार कर लिया।