भारत में गरीबी रेखा को किस प्रकार परिभाषित किया गया है ? इस परिभाषा के आधार पर भारत में गरीबी के विस्तार का क्या अनुमान लगाया जाता है ?
स्वाध्याय
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गरीबी रेखा की परिभाषा भारत के संदर्भ में-किसी व्यक्ति को गरीबी रेखा (निर्धनता रेखा) से नीचे तब माना जाता है यदि उसकी आय । या उपभोग स्तर निर्धारित ‘न्यूनतम स्तर’ से नीचे गिर जाए।
भारत में गरीबी का विस्तार-भारत में गरीबी रेखा कैलॉरी मापदंड पर आधारित है जिसका अर्थ है भोजन में मिलने वाला सामान्य पोषक तत्व । योजना आयोग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 केलॉरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है। तथा 2000 ई. में किसी व्यक्ति के लिए गरीबी रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 328 रु. तथा शहरी क्षेत्रों में 454 रु. निर्धारित किया गया है। भारत में सन् 1993 ई. में गरीबी 36% वर्ष 2000 ई. में गरीबी रेखा के नीचे 26% अब तक अनुमानतः 20% हो सकती है । न्यूनतम अनुमान में भारत में गरीबों की संख्या कुल आवादी का लगभग 20 करोड़ मानी जाती है ।
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