भारतीय संविधान की प्रस्तावना लोकतंत्र पर लिखित रूप में खूबसूरत कविता-सी लगती है। इसमें वह दर्शन शामिल है जिस पर पूरे संविधान का निर्माण हुआ है। यह दर्शन सरकार के किसी भी कानून और फैसले के मूल्यांकन और परीक्षण का मानक तय करता है । इसके सहारे परखा जा सकता है कि कौन कानून, कौन फैसला अच्छा या बुरा है। प्रस्तावना में ही भारतीय संविधान की आत्मा बसती है।