भौगोलिक खोजों ने नये देशों की खोज एवं नये व्यापारिक संपर्कों ने यूरोपीय व्यापार-वाणिज्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाये । उपनिवेशों के आर्थिक शोषण से यूरोपीय देश समृद्ध होने लगे । इस प्रगति ने यूरोपीय व्यापार को चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया । अतः मुद्रा व्यवस्था का विकास हुआ। हुंडी, ऋणपत्र आदि व्यापारिक साख का विकास हुआ । व्यापार अपने स्थानीय स्वरूप से विकसित होकर वैश्विक रूप लेने लगा।