बिहार में कृषक मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपायों निम्नलिखित हैं
(i) कृषि पर आश्रित उद्योगों का विकास-बिहार में गन्ना, जूट, तम्बाकू फल और सब्जियों की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। उन्हीं उत्पादनों के आधार पर उद्योगों एवं लघु उद्योगों की स्थापना से खाली के समय में बैठे कृषक मजदूर काम कर सकेंगे और अपनी आय में वृद्धि कर जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।
(ii) कार्य के घंटे निश्चित करना तथा काम के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित उचित मजदूरी का क्रियान्वयन आवश्यक है । तथा उचित समय-समय पर छुट्टियाँ भी मिलनी चाहिए।
(ii) कृषि श्रम कल्याण केन्द्र की स्थापना एवं उनके लिए आवास की व्यवस्था आवश्यक है ताकि उनका स्वस्थ्य ठीक रह सके उनके बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।
(iv) कृषक मजदूर निरक्षर और असंगठित हैं । अतः अपनी समस्याओं के मालिकों के सामने रखने में असमर्थ हैं । निरक्षरता के कारण ये शोषण का शिकार बनते हैं।
(v) अन्य उपाय-इनकी सबसे बड़ी समस्या है गरीबी, अशिक्षा रोजगार का नहीं मिलना । अतः ग्रामीण रोजगार केन्द्रों की स्थापना कर इनकों सूचित किया जाना चाहिए कि अन्यत्र रोजगार की व्यवस्था है। भूदान में मिली जमीन को भूमिहीन मजदूरों के बीच बँटवारा कर उनमें सरकार ओर से बीज एवं खाद की व्यवस्था की जाय ।