बिहार में वन्य जीवों के संरक्षण पर विस्तार से चर्चा करें।
स्वाध्याय
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बिहार में वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए आदि काल से कई रीति-रिवाजों का प्रचलन है। कई धार्मिक अनुष्ठान तो वृक्षों के नीचे ही किए जाते हैं। कई ऐसे आंचलिक त्योहार भी हैं जो वृक्षों के नीचे ही किए जाते हैं। इस राज्य में परम्परागत रूप से वट, पीपल, आँवला और तुलंसी के पौधों की पूजा की जाती है। हमारे यहाँ चौंटी से लेकर साँप जैसे विषैले जन्तु को भोजन दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। पक्षियों को भी दाने दिए जाने का प्रचलन है। साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यहाँ संजय गाँधी जैविक उद्यान एवं अन्य 14 अभयारण्य हैं जैसे-बेगुसराय जिला अन्तर्गत कांवर झील, दरभंगा जिला अन्तर्गत कुशेश्वर स्थान इत्यादि।

वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए कई संस्थाएँ भी कार्यरत हैं जिनमें वन, पर्यावरण एवं जल संसाधन विकास विभाग प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में कई स्वयं सेवी संस्थाएँ भी काम कर रही हैं। जैसे—प्रयास, तरुमित्र और भागलपुर में मंदार नेचर क्लब इत्यादि।
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