भारत एक धर्म निरपेक्ष ग्रज्य है। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। धर्म व्यक्तिगत स्वतंत्रता की वस्तु बना दी गयी है । संविधान के अंतर्गत भारत में नागरिकों को किसी भी धर्म को ग्रहण करने तथा प्रसार करने तथा उसके लिए अन्य कार्य करने का अधिकार दिया गया । विभिन्न धर्मावलम्बियों को अपने धर्म का प्रचार-प्रसार के लिए भाषण देने, सभा करने, पुस्तकें प्रकाशित करने, संस्थाओं की स्थापना करने तथा शिक्षण संस्थान चलाने का अधिकार है।