डी.एन.ए की प्रतिकृति बनना प्रजनन की मूल घटना है। डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक दूसरे से भिन्न होती हैं। यही विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं। इस प्रक्रिया में जनन कोशिका में डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं और इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है तथा इसके बाद डी.एन.ए. की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं।