दिखाये गये परिपथ में, यदि बिन्दु $A$ पर विभव को शून्य माना जाये तो बिन्दु B पर विभव होगा:
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(d) $D$ से $C$ तरफ धारा $=1 A$
$\therefore V _{ D }- V _{ C }=2 \times 1=2 V$
$V _{ A }=0 \quad \therefore V _{ C }=1 V , \therefore V _{ D }- V _{ C }=2$
$\Rightarrow V _{ D }-1=2 \quad \therefore V _{ D }=3 V$
$\therefore V _{ D }- V _{ B }=2 \quad \therefore 3- V _{ B }=2 \quad \therefore V _{ B }=1 V$
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किसी विभवमापी के परिपथ को चित्र में दिखाये गये अनुसार व्यवस्थिति किया गया है। इस विभवमापी के तार पर विभवपात (प्रवणता) $k$ वोल्ट प्रति सेन्टीमीटर है, और जब द्विमार्गी कुंजी नहीं लगी है (आंफ है) तब, परिपथ में जुड़े एमीटर की माप $1.0 A$ है। जब कुंजी (i) 1 और 2 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_1 cm$ पर, (ii) और जब कुंजी 1 और 3 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_2 cm$ पर प्राप्त होता है। तो, $R$ और $X$ प्रतिरोधकों का ओम में प्रतिरोध क्रमशः होगा
40 विद्युत बल्ब $220 V$ सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। कुछ समय बाद 1 बल्ब खराब हो गया तथा बचे हुए 39 बल्ब फिर समान सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। तीव्रता होगी :
एक आमीटर का प्रतिरोध $13 \Omega$ है और यह $100$ ऐम्पियर तक की धाराएँ माप सकता है। इसमें अतिरिक्त शंट जोड़ने पर यह आमीटर $750$ ऐम्पियर तक की धाराएँ मापने के लिए सक्षम हो जाता है। अतिरिक्त शंट का प्रतिरोध होगा $-$
दो सैल जिनके वि.वा.ब. $4 V$ तथा $8 V$ एवं आंतरिक प्रतिरोध $1 \Omega$ तथा $2 \Omega$ है एक $9 \Omega$ के बाहय प्रतिरोध से जुड़े है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। बिन्दु $P$ तथा $Q$ के बीच विभवान्तर तथा धारा का मान होगा:
एक वलय, एक तार जिसका प्रतिरोध $R_0=12 \Omega$ से बना है। इस वलय में ऐसे किन दो बिन्दुओं $A$ और $B$ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, पर धारावाही चालक को जोड़ा जाय ताकि, इन दो बिन्दुओं के बीच उप परिपथ का प्रतिरोध $R =\frac{8}{3} \Omega$ हो।