स्व-प्रतिकृति (Self Replication) - डी.एन.ए. आनुवांशिकता का रासायनिक आधार होता है तथा यह आनुवांशिक सूचनाओं का संग्राहक होता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार है।
जीवों में कोशिका विभाजन के समय DNA की प्रतिकृति होती है। इसमें जनक DNA दो संतति DNA में विभाजित हो जाता है। उपयुक्त एन्जाइम की उपस्थिति में पहले DNA के एक सिरे से हाइड्रोजन बन्धों के टूटने से दो स्ट्रेण्ड पृथक् होती जाती हैं तथा प्रत्येक स्ट्रेण्ड पर उपयुक्त न्यूक्लिओटाइड जुड़ते चले जाते हैं और दो समान संतति द्विकुण्डलनियाँ बन जाती हैं। इस प्रकार बनी प्रत्येक संतति द्विकुण्डलनी में एक कुण्डलनी जनक DNA से आती है तथा दूसरी कुण्डलनी नयी बनती है, जिन्हें क्रमशः जनक स्ट्रेण्ड तथा संतति स्ट्रेण्ड कहा जाता है। इस प्रकार पुत्री कोशिका में समान रज्जुक का अंतरण होता है।
