दो लम्बी समाक्ष परिनालिकाओं, जिनकी लम्बाई समान $l,$ फेरों की संख्या $N _1$और $N _2$ तथा त्रिज्या $r_1$ और $r_2 (\left(>r_1\right)$ हैं, के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए।
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दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरण गुणांक का व्यंजक $-$ चित्र में $PP$ तथा $SS$ दो समाक्ष समान परिनालिकायें प्रदर्शित की गयी हैं। जिनमें प्रति एकांक लम्बाई फेरों की संख्यायें क्रमशः
Image
$n _1=\frac{ N _1}{l_1}$ तथा $n _2=\frac{ N _2}{l_2}$ हैं।
$ \quad$ जहाँ प्राथमिक कुण्डली $PP$ के साथ द्वितीयक कुण्डली $SS$ संकुल वेष्ठित है। इनके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल समान हैं। अर्थात् $A _1= A _2= A$ यदि प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित धारा का मान I हो तो इसके भीतर मध्य के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का मान
$B_1=\mu_0 n_1$ बेबर/मी$^2$ होता है।
प्राथमिक कुण्डली के प्रत्येक फेरे से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
$\phi_1=B_1 A=\mu_0 n_1 I_1 A$
चूँकि दोनों परिनालिकायें गाढ़ युग्मन अवस्था में हैं। अतः यही फ्लक्स द्वितीयक कुण्डली के प्रत्येक फेरे से भी सम्बद्ध होगा।
द्वितीयक कुण्डली के $N _2$ फेरों से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान$-$
$\phi_2=\mu_0 n_1 N_2 I A$
अन्योन्य प्रेरकत्व की परिभाषा से दोनों परिनालिकाओं के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व $M-$
$M =\frac{\phi_2}{ I }=\frac{\mu_0 n _1 N_2 IA }{ I }=\mu_0 n _1 n _2 A l_2$
$M =\frac{\mu_0 N_1 N_2 A}{l} ($यदि $\left.l_1=l_2=l\right))$
यदि परिनालिका की प्राथमिक कुण्डली की क्रोड वायु न होकर $\mu_{ T }$ आपेक्षिक पारगम्यता की क्रोड हो तो दोनों परिनालिकाओं के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व $($अन्योन्य प्रेरण गुणांक$)$
$M =\mu_0 \mu_{ T } n _1 n _2 l A$
या $M =\frac{\mu_0 \mu_{ r } N _1 N_2 A}{l}$
युग्मन गुणांक$-$प्रथम कुण्डली $PP$ में यदि $I _1$धारा प्रवाहित होती हो तथा इसके कारण प्रत्येक फेरे में फ्लक्स $\phi_1$हो तो प्रथम कुण्डली से सम्बद्ध कुल फ्लक्स
$N _1 \phi_1= L _1 I _1$
या $L _1=\frac{ N _1 \phi_1}{ I _1}................(1)$
चूँकि प्रथम कुण्डली का पलक्स सम्पूर्ण रूप से दूसरी कुण्डली से सम्बद्ध माना गया है, अतः $SS$ के प्रत्येक फेरे से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स $\phi_1$ही होगा। इस प्रकार $SS$ से सम्बद्ध कुल चुम्बकीय पलक्स $N _2 \phi_1$होगा।
अतः $PP$ तथा $SS$ के मध्य अन्योन्य प्रेरण गुणांक $M-$
$M=\frac{N_2 \phi_1}{I_1}...............(2 )$
या $M=\frac{N_2}{I_1}\left(\frac{L_1 I_1}{N_1}\right)=\frac{N_2}{N_1} L_1$
$M =\frac{ N _2}{N_1} L_1...............(3)$
अब हम $SS$ को प्राथमिक तथा $PP$ को द्वितीयक कुण्डली मानें तो $SS$ में $I _2$ धारा प्रवाहित होने पर इससे सम्बद्ध कुल फ्लक्स $N_2 \phi_1$ होगा जहाँ $\phi_2$द्वितीयक कुण्डली $SS$ के प्रत्येक फेरे से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स है।
अतः द्वितीयक कुण्डली का स्वप्रेरकत्व
$L _2=\frac{ N _2 \phi_2}{ I _2}$
$SS$ का सम्पूर्ण चुम्बकीय पलक्स $PP$ से सम्बद्ध होने की स्थिति में $PP$ से सम्बद्ध कुल चुम्बकीय पलक्स $N _1\phi_2$होगा।
अतः $PP$ तथा $SS$ के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व
$M=\frac{N_1 \phi_2}{I_2}=\frac{N_1}{I_2} \frac{L_2 I_2}{N_2}=\frac{N_1 L_2}{N_2}$
$M=\frac{N_1 L_2}{N_2}$
समीकरण $(3)$ तथा $(4)$ से
$M \times M=\left(\frac{N_2}{N_1} L_1\right)\left(\frac{N_1 L_2}{N_2}\right)$
$M ^2= L _1 L_2$
$M=\sqrt{L_1 L_2}$
art

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