एक दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेन्स का व्यास 10 सेमी है तथा यह दो वस्तुओं से 1 किमी दूरी पर स्थित है। दूरदर्शी द्वारा विभेदित दोनों वस्तुओं के बीच की न्यूनतम दूरी, जब प्रकाश की माध्य तरंगदैर्ध्य $5000 A$ है, होगी:
[2004]
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(d) यहाँ $\frac{ x }{1000}=\frac{1.22 \lambda}{ D }$
या $x =\frac{1.22 \times 5 \times 10^3 \times 10^{-10} \times 10^3}{10 \times 10^{-2}}$
या $x =1.22 \times 5 \times 10^{-3}$ मीटर $=6.1$ मीटर
$x =5$ मिमी कोटि का होना चाहिए।
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एक प्रकाश किरणपूंज, लाल, हरे तथा नीले रंगों से बना है। यड किरणपुंज किसी समकोणी प्रिज्म पर आपतित होता है $($ आरेख देखिये $)$ प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक, लाल, हरे, व नीले रंग के लिये क्रमश: $1.39$, $1.44$ तथा $1.47$ है, तो यह प्रिज्म:
सामान्य समायोजन की स्थिति में, किसी खगोलीय दूरदर्शक के अभिदश्यक लेंस के भीतरी भाग पर $L$ लम्बार्ई के एक काली सरता रेखा खिची गर्ई है। नेत्रिका इस सरल रेखा का वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती है। प्रतिबिम्ब की लम्बाई $l$ है तो दूरदर्शक का आवर्थन है :
एक प्रकाशदीप्त वस्तु उत्तल लेंस से $f =20$ सेमी दूरी पर रखी है। लेंस के दूसरी तरफ एक 10 सेमी वक्रता त्रिज्या का उत्तल दर्पण रखा है। बताओ इसकी दूरी लेंस से क्या होगी कि प्रतिबिम्ब वस्तु की जगह पर हीं बने
एक पतले समतलोत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या 10 सेमी तथा अपवर्तनांक $1.5$ है। यदि समतल पृष्ठ को पोलिश कर दिया जाए तो यह अवतल दर्पण का काम करेगा। इसकी फोकस दूरी है:
दो माध्यमों $M_1$ और $M_2$ में प्रकाश की चाल क्रमशः $1.5 \times 10^8 m / s$ और $2.0 \times 10^8 m / s$ है। प्रकाश की एक किरण माध्यम $M_1$ से $M_2$ में $i$ आपतन कोण पर प्रवेश करती है। यदि इस किरण का पूर्ण आतंरिक परावर्तन हो जाता है तो, ' $i$ ' का मान है
एक पारदर्शी छड़ का अपवर्तनांक $n$ है। इसमें प्रकाश अन्दर जाता है। अपवर्तनांक का मान क्या होगा यदि प्रकाश दूसरे सिरे से बाहर न निकले चाहे आपतन कोण का मान कुछ भी क्यों न हो?
किसी खगोलीय दूरबीन के अभिदृश्यक और नेत्रिका की फोक्स दूरियां कमश: $40$ से.मी. और $4$ से.मी. हैं। अभिदृश्यक से $200$ से.मी. दूर स्थित किसी बिम्ब को देखने के लिए दोनों लेंसों के बीच की दूरी होनी चाडिए: