किसी खगोलीय दूरबीन के अभिदृश्यक और नेत्रिका की फोक्स दूरियां कमश: $40$ से.मी. और $4$ से.मी. हैं। अभिदृश्यक से $200$ से.मी. दूर स्थित किसी बिम्ब को देखने के लिए दोनों लेंसों के बीच की दूरी होनी चाडिए:
[2016]
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दिया है, वस्तु लोन्स की फोकस दूरी $f _0=40 \ cm$
नेत्रिका की फोकस दूरी $f_e=4 \ cm$
प्रतिबिम्ब की दूरी, $v _0=200 \ cm$
वस्तु लेंस के लिए लोंस के सूत्र से,
$ \frac{1}{v_0}-\frac{1}{ u _0}=\frac{1}{ f _0}$
$\Rightarrow \frac{1}{ v _0}=\frac{1}{ f _0}+\frac{1}{ u _0}$
$\Rightarrow \frac{1}{ v _0}=\frac{1}{40}+\frac{1}{-200}=\frac{+5-1}{200}$
$\Rightarrow v _0=50 \ cm $
नली की लंबाई $\ell=\left| v _0\right|+ f _{ e }=50+4=54 \ cm$.
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एक प्रिज्म जिसका कोण $A$ है, के एक समतल पर एक किरण आपतन कोण बनाते हुए आती है तथा वह दूसरे समतल के लम्बवत बाहर निकलती है। यदि प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\mu$ हो तो आपतन कोण $i$ का मान लगभग होगा:
एक प्रकाश किरणपूंज, लाल, हरे तथा नीले रंगों से बना है। यड किरणपुंज किसी समकोणी प्रिज्म पर आपतित होता है $($ आरेख देखिये $)$ प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक, लाल, हरे, व नीले रंग के लिये क्रमश: $1.39$, $1.44$ तथा $1.47$ है, तो यह प्रिज्म:
सामान्य नेत्त्र में कौर्निया $($स्वच्छ मंडल$)$ की अभिसारी शक्ति $40 D$ है तथा कार्निया के पीछे नेत्र लेंस की न्यूनतम अभिसारी शक्ति $20 D$ है। इस सूचना से नेत्र के रेटिना $($दृष्टिपटल$)$ तथा लेन्स के बीच की अनुमानित दूरी होगी:
प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक $\sqrt{2}$ तथा इसका अपवर्तन कोण $30^{\circ}$ है। प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठों में से किसी एक पृष्ठ को अन्दर की ओर दर्पणनुमा बनाया जाता है। दूसरे पृष्ठ पर आपतित एकवर्णी प्रकाश पुँज दर्पण से परावर्तित होकर अपने ही मार्ग से वापिस लौट आएगा यदि प्रिज्म पर आपतन कोण है:
कोई लड़का कागज़ पर एक समउत्तल लैंस द्वारा सूर्य किरणों को फोकस कर आग जलाना चाहता है। लैंस की फोकस दूरी $10 cm$ है। सूर्य का व्यास $1.39 \times 10^9 m$ है और इसकी पृथ्वी से मध्यमान दूरी $1.5 \times 10^{11} m$ है। सूर्य के कागज़ पर प्रतिबिम्ब का व्यास होगा: