एक प्रकाश सक्रिय पदार्थ के तल का कार्य फलन $6.2\ eV$ है। यदि स्टोपिंग$-$विभव $5V$ हो तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का तरंगदैध्य्य पड़ेगा :
[2008]
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कार्य$-$फलन , $W _0=6.2 eV$.
स्टीपिंग $-$ विभव, $V _0=5 V$.
$ eV _0= hv - W _0$
$eV _0+ W _0= hv $
या $eV _0+ W _0=\frac{ hc }{\lambda}$
$ \Rightarrow \lambda=\frac{h c}{ eV _0+ W _0} $
$ \lambda=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{\left(1.6 \times 10^{-19} \times 5\right)+\left(6.2 \times 1.6 \times 10^{-19}\right)}$
$=1.10 \times 10^{-7} m $
अतः आपतित विकिरण अल्ट्रा$-$वायलेट क्षेत्र में पड़ेगा।
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5 वाट का एक स्त्रोत $5000 A$ तरंगदैध्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। $0.5$ मी की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्त्रोत को तल से $1.0$ मी की दूरी पर ले जाया जायेगा तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
एक प्रकाश$-$वैद्युत सेल में $\lambda$ तरंग$-$दैर्ध्य का प्रकाश डालने पर इलैक्ट्रॉन की सर्वाधिक गति $v$ है, तो तरंगदैर्ध्य $3 \lambda / 4$ करने से सर्वाधिक गति होगी
हाइड्रोजन अणु की ऊर्जा, मुख्य क्वाण्टम संख्या के साथ $E =-\frac{13.6}{ n ^2} eV$ है। यदि एक इलैक्ट्रान $n =3$ से $n =2$में कूत्ता है तो निकले फोटोंन की ऊर्जा है:
एक प्रकाश वैद्युत सैल का कैथोड बदलने से उसका कार्य फलन $W _1$ से $W _2$ बदल जाता है $\left( W _2> W _1\right)$ ) बिना किसी परिवर्तन के पहले धारा का मान $I _1$ तथा बाद में $I _2$ है तो $\left(\right.$ माना $h v> W _2$ )
किसी प्रकाश सुग्राही धातु के लिये, देहली आवृत्ति $3.3 \times 10^{14} Hz$ है। यदि इस धातु पर $8.2 \times 10^{14} Hz$ आवृत्ति का प्रकाश आपतित हो तो प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी $($अन्तक$)$ वोल्टता होगी, लगभगः