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किसी धातु का कार्य फलन $1.8 eV$ है। इससे प्रकाश विद्युत उत्सर्जन में उत्पन्न इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा $0.5 eV$ है। इसका संगत निरोधी (अंतक) विभव होगा:
$200 W$ का एक सोडियम बल्ब $0.6 \ \mu m$ तरंगदैर्ध्य का पीला प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह मानते हुए कि विद्युत ऊर्जा को प्रकाश में परिवर्तन करने में बल्ब की दक्षता $25 \%$ है, प्रति सेकण्ड उत्सर्जित पीले रंग के प्रकाश के फोटॉनों की संख्या होगी:
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$
एक इलेक्ट्रान, हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था से उसकी निम्नतम अवस्था में संक्रमण करता है। इससे उत्सर्जित एकवर्णी विकिरण किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ को किरणित करता है। इसका निरोधी विभव $3.57 V$ मापा गया है। इस पदार्थ की देहली आवृत्ति है :
5 वाट का एक स्त्रोत $5000 A$ तरंगदैध्ध्य के एकवर्णी प्रकाश का उत्सर्जन करता है। $0.5$ मी की दूरी पर रखने से यह एक प्रकाश संवेदी धात्विक तल से प्रकाशी इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है। जब स्त्रोत को तल से $1.0$ मी की दूरी पर ले जाया जायेगा तो विमुक्त प्रकाशी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग को $P$ से परिवर्तन करने पर उससे संबद्व दे-ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य $0.5 \%$ परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :