गैंसों की गतिकी सिद्धांत के अनुसार परम शून्य ताप पर
[1990]
Download our app for free and get started
(c)
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
एक समान तापमान पर दो पात्रों में से एक में आदर्श गैस $A$ तथा दूसरे में आदर्श गैस $B$ भरी है। गैस $A$ का दाब गैस $B$ के दाब का दो गुना है। इन दशाओं के अन्तर्गत गैस $A$ का घनत्व गैस $B$ के घनत्व से $1.5$ गुना पाया जाता है, तो $A$ तथा $B$ के अणुभारों का अनुपात होगा:
नियत दाब पर एक एक परमाण्विक आइडियल गैस के एक मोल का ताप $10 K$ बढ़ाने के लिए $207 J$ ऊष्मा की आवश्यकता है। इसी गैस के नियत आयतन पर $10 K$ तापमान वृद्वि के लिए आवश्यक ऊष्मा है $( R = 8.3$ जूल/मोल $K )$
सामान्य ताप तथा दाब पर किसी गैस के $4.0 g$ द्रव्यमान का आयतन $22.4$ लिटर है। स्थिर आयतन पर इसकी विशिप्ट ऊप्मा धारिता $5.0 JK ^{-1} \text{mol} ^{-1}$ है। यदि इस गैस में सामान्य ताप व दाब पर ध्वनि का वेग $952 \ ms ^{-1}$ है तो इस गैस की रिथर दाब विशिप्ट ऊप्मा धारिता है (गैस नियतांक $R =8.3 JK ^{-1} \text{mol} ^{-1} )$
तीन बर्तनों में तीन अलग-अलग गैसें समान आयतन की भर दी गयी। अणुओं का द्रव्यमान क्रमशः $m _1, m _2, m _3$. तथा अणुओं की संख्या $N _1, N _2, N _3$ है। बर्तनों में गैसों का दाब क्रमश: $P _1, P _2, P _3$ है। तीनों गैसों को मिलाकर एक बर्तन में डाल दिया गया तो गैसों का दाब $P$ होगा: