एक $100 mH$ कुण्डली में $1 A$ धारा प्रवाहित होती है तो संचित ऊर्जा का मान है
[1991]
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(c) $E =\frac{1}{2} Li ^2=\frac{1}{2}\left(100 \times 10^{-3}\right) \times 1^2=0.05 J$
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एक कुण्डली जिसमें 50 फेरे हैं एक चुम्बकीय क्षेत्र $2 \times$ $10^{-2} T$ के लम्बवत् रखी जाती है। कुण्डली का क्षेत्रफल 100 सेमी $^2$ है। इसमे उत्पन्न प्रेरक वि.वा.ब. $0.1 V$ है। कुण्डली को 1 सेकण्ड में चुम्बकीय क्षेत्र से हटा दिया जाता है तो $t$ का मान है
$10 \Omega$ प्रतिरोध की एक कुंडली में, इससे संबद्व चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन से प्रेरित विधुत धारा को समय के फलन के रूप में दिये गए आरेख द्वारा प्रदर्शित किया गया है तो, इस कुंडली से संबद्व फ्लक्स में परिवर्तन का मान वेबर में है:
$r$ त्रिज्या की एक पतली अर्द्धवृत्ताकार चालक रिंग (वलय) $( PQR )$ किसी क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र $B$ में गिर रही है। गिरते समय इसका समतल, आरेख में दर्शाये गये अनुसार, ऊध्र्वाधर रहता है। जब गिरती हुई रिंग की चाल $v$ है तो, इसके दो सिरों के बीच विकसित विभवान्तर होगा