हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम में लाइमन तथा बामर श्रेणी की सर्वाधिक लम्बी तरंगदैध्यों का अनुपात होगा हैः
[2013]
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लाइमन श्रेणी के लिए $(2 \rightarrow 1)$
$ \frac{1}{\lambda_{ L }}= R \left[1-\frac{1}{2^2}\right]=\frac{3 R }{4} $
बामर श्रेणी के लिए $(3 \rightarrow 2)$
$ \frac{1}{\lambda_{ B }}= R \left[\frac{1}{4}-\frac{1}{9}\right]=\frac{5 R }{36}$
$\Rightarrow \frac{\lambda_{ L }}{\lambda_{ B }}=\frac{\frac{4}{3 R }}{\frac{36}{5 R }}=\frac{4}{36}\left(\frac{5}{3}\right)=\frac{5}{27} $
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हाइड्रोजन परमाणु की आद्य अवस्था में इलैक्ट्रॉन की आयनन ऊर्जा $13.6 \ eV$ होती है। $6$ तरंग दैर्ध्य की तरंगों की विकिरणों के उत्सर्जन के लिए परमाणुओं को ऊपरी ऊर्जा स्तरों तक उत्तेजित किया जाता है। उत्सर्जित विकिरण का अधिकतम तरंग दैर्ध्य इनमें से किस स्थिति परिर्वतन से सम्बन्धित होगा $:-$
निम्न स्तर पर $H _2$ अणु की त्रिज्या $5.3 \times 10^{-11}$ मी है। एक इलैक्ट्रॉन के टकराने से त्रिज्या $21.2 \times 10^{-11}$ मी हो जाती है। मुख्य क्वाण्टम संख्या होगी $-$
जब द्रव्यमान ' $m$ ' तथा वेग ' $v$ ' से गतिमान कोई $\alpha$ कण 'Ze' आवेश के किसी भारी नाभिक पर बमबारी करता है, तो उसकी नाभिक से निकटतम उपगमन की दूरी, $m$ पर इस प्रकार निर्भर करती है :
हाइड्रोजन के बोर मॉडल मे अभिकेन्द्र बल तथा प्रोटॉन व इलैक्ट्रॉन के बीच लगने वाला कूलॉम बल एक दूसरे को संतुलित करते हैं। यदि $a_0$ निम्न स्तर की कक्षा की त्रिज्या, $m$ इलैक्ट्रान का द्रव्यमान, $e$ आवेश तथा $\varepsilon_0$ विद्युतशीलता हो तो इलैक्ट्रान का वेग