गाँव के लोगों का मुख्य काम खेती होता है जबकि शहरों में अन्य तरह के व्यवसाय किए जाते हैं। गाँवों में अधिकांशतः किसान और खेती के कामों से जुड़े मजदूर व छोटे-मोटे काम करने वाले लोग और छोटे स्तर पर सब्जियाँ, राशन व अन्य दैनिक कामों में आने वाले वस्तुओं के छोटे दुकानदार रहते हैं। जबकि शहरों में छोटे-मध्यम बड़े व्यापारी, शिल्पकार, शासक तथा ‘अधिकारी रहते हैं। पहले अक्सर शहरों की किलेबंदी की जाती थी, जो ग्रामीण क्षेत्रों से इसके अलगाव को चिह्नित करती थी।
शहरों का ग्रामीण जनता पर प्रभुत्व होता था और वे खेती से प्राप्त करों और अधिशेष के आधार पर फलते-फूलते थे। अत: ग्रामीण एवं शहरी अर्थव्यवस्था में स्पष्ट और बड़ा अंतर था।