(1) इतिहास के स्रोत के रूप में बर्तन और कलाकृतियों का बहुत महत्त्व है। उत्खनन से हमें तत्कालीन बर्तन आदि कलाकृतियाँ प्राप्त हुई हैं।
(2) कलाकारी में बर्तनों पर चित्रण, खम्भों पर खुदाई, किवाड़ों व गवाक्ष (गोखड़ों) की कारीगरी आदि भी देखने में आती है।
(3) हमें ऐसे बर्तन भी प्राप्त होते हैं, जिनकी बनावट, पॉलिश, रंग आदि उस काल की उत्कृष्ट कला को दर्शाते हैं।
(4) अनेक स्थानों से उत्खनन में प्राप्त मृदभाण्ड, प्याले, रकाबियाँ, धूपपात्र, दीपक आदि से तत्कालीन कला-कौशल को जाना जा सकता है।
(5) गणेश्वर (नीम का थाना, सीकर) की ताम्र संस्कृति के अवशेष, जोधपुरा (जयपुर) एवं नोह (भरतपुर) से प्राप्त काले एवं लाल मृदभाण्ड, आहड़ व गिलुण्ड से प्राप्त प्रस्तर, फलक आदि में भी उत्कृष्ट कला कौशल देखा जा सकता है।