राजस्थान का इतिहास जानने में यहाँ के ऐतिहासिक ग्रन्थों का बहुत योगदान है।
(1) राजस्थान के प्राचीन इतिहास को जानने में वेद-पुराण, रामायण, महाभारत, बौद्ध एवं जैन ग्रंथों से सहायता मिलती है।
(2) 12वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जयानक कृत 'पृथ्वीराज विजय' महाकाव्य से, चौहानों की उपलब्धियों का वर्णन मिलता है।
(3) नयनचन्द्र सूरि कृत 'हम्मीर महाकाव्य' से चौहानों के इतिहास के साथ-साथ अलाउद्दीन खिलजी की रणथम्भौर विजय और उस समय की सामाजिक, धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है।
(4) पृथ्वीराज रासो, अचलदास खींची की वचनिका, पद्मनाभ कृत 'कान्हड़देव प्रबंध', बीकानेर के दलपत सिंह कृत दलपत-विलास, खिड़िया जग्गा कृत 'वचनिका' आदि भी विशेष उल्लेखनीय हैं।
(5) नैणसी री ख्यात, बांकीदास की ख्यात, दयालदास की ख्यात, जोधपुर राज्य की ख्यात आदि से इतिहास जानने में सहायता मिलती है।
(6) फारसी-उर्दू तवारिखों (इतिहास ग्रंथों) से हमें विशेषतया मध्यकालीन राजस्थान का इतिहास समझने में मदद मिलती है।
(7) कर्नल जेम्स टॉड कृत 'एनाल्स एण्ड एन्टीक्विटीज ऑफ राजस्थान' और 'पश्चिम भारत की यात्रा', बंदी के महाकवि सूर्यमल्ल मिसण का वंश भास्कर, कविराज श्यामलदास कृत 'वीर विनोद', विश्वेश्वर नाथ रेऊ कृत 'मारवाड़ राज्य का इतिहास', गौरीशंकर हीराचंद ओझा लिखित उदयपुर, जोधपुर, सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ के इतिहास ग्रन्थ उल्लेखनीय हैं।