जैविक आपदा चार प्रकार के हैं।
(i) प्रथम वर्ग में उन बीमारियों को रखा गया है जिसका कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस होते हैं। जिनसे चिकेन पॉक्स, हिपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं । इनसे तात्कालिक बचाव के लिए ग्लब्स, मास्क आदि का सतत् प्रयोग करना चाहिए।
(ii) इस जैविक आपदा में वैसी बीमारियों को रखा गया है जिसकी . उत्पत्ति का कारण सूक्ष्म जीवाणु तथा वायरस हैं । इस वर्ग में हिपेटाइटिस . A, B और C इन्फ्लूएंजा, लाइम डिजिज मिजिल्स, चिकेन-पॉक्स और एड्स जैसी बीमारियाँ संभव हैं।
(iii) जैविक आपदा के तीसरे वर्ग में वैसे सूक्ष्म जीवाणु और वायरस को रखा गया है जो मानव समूह के लिए विनाशकारी आपदा ला सकती है। इसके अंतर्गत एंथ्रेक्स, पश्चिमी नील वायरस, वेनेजुएलियन एन्सेफ्लाइटिस, स्मॉल पाक्स, ट्यूवरोक्लोसिस वायरस, रिफ्टबैली बुखार, येलो बुखार तथा मलेरिया, हैजा, डायरिया प्रमुख हैं। यह साधारणतः गरीब देशों की बीमारियाँ हैं ।
(iv) चौथे स्तर की जैविक आपदा के अंतर्गत अति विनाशकारी वायरस को रखा जाता है। इसके अंतर्गत वायरस वोलिवियन तथा अर्जेंटियन बुखार तथा बर्ड फ्लू, एडस (HIV), डेंगू बुखार, माखर्ग बुखार, एबोला इत्यादि प्रमुख हैं।