औद्योगिक विकास के साथ-साथ रासायनिक पदार्थों के उत्पादन से जुड़ी तीन समस्याएँ आती हैं
(i) विषैले रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न छिपी हुई आपदाएँ ।
(ii) रासायनिक युद्ध सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदाएँ ।
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदाएँ।
(i) विषैले रासायनिक उत्पाद से उत्पन्न छिपी हुई आपदाएँइसका सर्वाधिक प्रभाव कृषि उत्पाद पर देखने को मिलता है । रासायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से न सिर्फ मृदा के सूक्षम जीवों का विनाश होता है बल्कि उत्पाद विषैली हो जाता है । इसके अलावा कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है जो जान लेवा सावित होती है। इससे अम्लीय वर्षा का डर बना रहता है विशेषकर महानगरों में।
(ii) रासायनिक युद्ध सामग्री के उपयोग से उत्पन्न आपदाएँरासायनिक आयुध के अंतर्गत विविध जहरीले गैसों के प्रयोग के साथ-साथ विस्फोटक पदार्थों में भी ऐसे गैस सन्निहित होते हैं जिनके प्रभाव से त्वचा में जलन और गलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है । मृत्यु भी हो जाती है।
(iii) रासायनिक औद्योगिक इकाइयों में रिसाव और कचरे से उत्पन्न आपदा-गैस रिसाव बड़ी आपदा का रूप लेता है। भोपाल गैस रिसाव (1984) इसका प्रमाण है । पुनः 1999 में तमिलनाडु के तूतीकोरिन गैस रिसाव के उदाहरण हैं।