पौधों एवं फसलों को रोग मुक्त रखने एवं पीड़कों से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी एवं पीड़कनाशी आदि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करने से ये पौधों के माध्यम से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाते हैं तथा खाद्य श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर संचित होने लगते हैं। इस परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं।
हाँ, पारितन्त्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भिन्न-भिन्न होता है। जैसे जैसे हम खाद्य श्रृंखला में ऊपरी स्तरों की तरफ बढ़ते हैं, इन अणिम्नीकरणीय रसायनो का संचन बढ़ता हुआ पाया जाता है।