जनसंख्या पिरामिड- किसी देश के जनसंख्या संघटन का अध्ययन करने हेतु जनसंख्या पिरामिड विधि का उपयोग किया जाता है, इसे आयु लिंग पिरामिड भी कहते हैं। जनसंख्या पिरामिड जनसंख्या के आयु-लिंग संघटन का आलेखीय निरूपण होता है। एक जनसंख्या पिरामिड दर्शाता है-
→ कुल जनसंख्या विभिन्न आयु वर्गों में विभाजित है, उदाहरणार्थ 5 से 9 वर्ष, 10 से 14 वर्ष तथा इसी तरह आगे।
→ कुल जनसंख्या का प्रतिशत इन वर्गों में से प्रत्येक वर्ग में पुरुष और स्त्रियाँ उपविभाजित हैं।
जनसंख्या पिरामिड का आकार उस विशिष्ट देश में रहने वाले लोगों के आयु वर्ग एवं लिंगानुपात की स्थिति को स्पष्ट करता है। जनसंख्या पिरामिड को अग्र रेखाचित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है-

चित्र 1 में बच्चों की संख्या पिरामिड के निचले भाग (15 वर्ष से नीचे) में दिखाई गई है, वृद्ध लोगों की संख्या पिरामिड के ऊपरी भाग (65 वर्ष से अधिक) तथा कार्यरत जनसंख्या (15 वर्ष से 65 वर्ष) को पिरामिड के मध्य भाग में दर्शाया गया है।
विभिन्न स्थितियों के जनसंख्या पिरामिडों को केन्या, भारत तथा जापान के जनसंख्या पिरामिडों की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) चित्र 2 में केन्या का जनसंख्या पिरामिड है। यह दर्शाता है कि यहाँ बहुत से बच्चे जन्म लेते हैं (आधार चौड़ा) लेकिन इनमें से अधिकांश की मृत्यु शैशवकाल में ही हो जाती है। परिणामस्वरूप वृद्ध लोग बहुत कम (शिखर सँकरा) हैं।

(2) चित्र 3 में भारत का जनसंख्या पिरामिड है। यह दर्शाता है कि केन्या की अपेक्षा यहाँ शिशु प्रौढ़ावस्था तक पहुँच जाते हैं। इस प्रकार की जनसंख्या में युवा शक्ति अधिक होती है जो कार्यरत जनसंख्या कहलाती है।

(3) चित्र 4 में जापान का जनसंख्या पिरामिड है। इसका आधार सँकरा है जो दर्शाता है कि यहाँ शिशु जन्म दर कम है। मृत्यु दर भी कम होने के कारण यहाँ अधिकांश लोग वृद्ध आयु तक पहुँच जाते हैं।
