विश्व में जनसंख्या परिवर्तन की स्थिति- जनसंख्या परिवर्तन से तात्पर्य एक निश्चित अवधि के दौरान लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। सन् 1800 तक विश्व की जनसंख्या धीमी गति से बढ़ी, क्योंकि उससे पूर्व स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण विश्व में मृत्यु दर काफी ऊँची थी। सन् 1804 में विश्व की जनसंख्या 1 अरब थी जो अगले लगभग 150 वर्षों बाद 1959 में तीन गुना बढ़कर 3 अरब हो गई। सन् 1999 में विश्व की जनसंख्या 6 अरब हो गई जो कि 1959 की जनसंख्या से दुगुनी थी। अतः सन् 1800 के पश्चात् विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
जनसंख्या परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक -
जनसंख्या परिवर्तन को मुख्य रूप से निम्न तीन कारक प्रभावित करते हैं-
(1) जन्म दर- जन्म दर का तात्पर्य प्रति 1000 व्यक्तियों पर जीवित जन्मों की संख्या के माप से है। जिस देश में जन्म दर काफी ऊँची होती है वहाँ की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती है।
(2) मृत्यु दर- मृत्यु दर का तात्पर्य प्रति 1000 व्यक्तियों पर मरने वाले व्यक्तियों की संख्या की माप से है। यदि किसी देश में मृत्यु दर काफी कम है तथा वहाँ की जन्म दर यदि ऊँची है। तो उस देश की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होगी।
(3) प्रवास- किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के आने-जाने को प्रवास कहते हैं। प्रवास के कारण जनसंख्या के आकार में परिवर्तन होता है। जब व्यक्ति नए प्रदेश में जाते हैं तो इसे आप्रवास कहते हैं। इससे नए प्रदेश की जनसंख्या में वृद्धि होती है। जब व्यक्ति एक देश को छोड़ता है तो इसे उत्प्रवास कहते हैं। इससे देश की जनसंख्या कम होती है।